2025 में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व वर्ष में चार बार आता है, लेकिन चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का महत्व सबसे अधिक माना जाता है।
शारदीय नवरात्रि 2025 इस बार 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर को समाप्त होगी, और इसके अगले दिन 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को विजयादशमी (दशहरा) मनाई जाएगी।
इस वर्ष मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हाथी वाहन पर देवी का आगमन बेहद शुभ संकेत माना जाता है। यह वर्षा, समृद्धि और शांति का प्रतीक है। आइए विस्तार से जानते हैं नवरात्रि 2025 से जुड़ी सभी बातें।
नवरात्रि 2025 की तिथियाँ
- प्रतिपदा (पहला दिन): 22 सितंबर 2025
- अष्टमी (महाष्टमी): 29 सितंबर 2025
- नवमी: 30 सितंबर 2025
- एकादशी/व्रत समापन: 1 अक्टूबर 2025
- विजयादशमी (दशहरा): 2 अक्टूबर 2025
मां दुर्गा का वाहन परिवर्तन परंपरा
पौराणिक ग्रंथों और पंचांगों में यह उल्लेख मिलता है कि हर वर्ष मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती और जाती हैं।
- हाथी (गजवाहन): वर्षा, सुख-समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक
- घोड़ा: युद्ध, अशांति और संघर्ष का संकेत
- नाव: प्रचुर जल, जीवन में तरलता और नई संभावनाओं का प्रतीक
- पालकी (डोली): रोग, आपदा या कष्ट की आशंका
इस बार 2025 में मां दुर्गा हाथी पर आगमन कर रही हैं और यह बहुत शुभ माना जा रहा है।
हाथी पर सवार होने की कथा और महत्व
मां दुर्गा का हाथी पर आगमन केवल संयोग नहीं है, बल्कि यह पंचांग और ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर निर्धारित होता है।
प्रतीकात्मक महत्व
- हाथी समृद्धि, स्थिरता और शक्ति का प्रतीक है।
- यह लक्ष्मी और ऐश्वर्य से भी जुड़ा हुआ है।
- हाथी वर्षा लाने वाला प्राणी माना गया है, इसलिए मां दुर्गा का हाथी पर आना अच्छी बारिश और भरपूर फसल का संकेत देता है।
पौराणिक व्याख्या
पंचांगों में कहा गया है –
“गजरूढ़ा आगता लक्ष्मी प्रसन्नता दायिनी”
अर्थात, जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो वह अपने साथ लक्ष्मी की कृपा और प्रसन्नता लेकर आती हैं।
लोककथाओं में मान्यता
कई लोककथाओं में कहा जाता है कि जब धरती पर अधर्म बढ़ जाता है और लोग दुखी हो जाते हैं, तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, ताकि भक्तों को धैर्य, शांति और शक्ति प्रदान कर सकें।
नवरात्रि पूजा विधि 2025
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा विधि विशेष रूप से मानी जाती है।
- कलश स्थापना (घट स्थापना): पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करें।
- दुर्गा सप्तशती पाठ: पूरे नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती या देवी माहात्म्य का पाठ करें।
- नवरात्रि व्रत: भक्त उपवास रखते हैं और केवल फलाहार ग्रहण करते हैं।
- कन्या पूजन (अष्टमी/नवमी): छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूजन करें और भोजन कराएँ।
- हवन और विसर्जन: अंतिम दिन हवन कर मां दुर्गा का आशीर्वाद लेकर कलश विसर्जन करें।
विजयादशमी (दशहरा) 2025
2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को विजयादशमी मनाई जाएगी।
- यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- श्रीराम ने इसी दिन रावण का वध किया था।
- इस दिन शस्त्र-पूजन और रावण दहन की परंपरा है।
- व्यापारी और किसान वर्ग भी इस दिन को शुभ मानकर नए कार्यों की शुरुआत करते हैं।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्व
ज्योतिष के अनुसार हाथी का संबंध शनि और बृहस्पति ग्रह से माना जाता है।
- शनि का प्रभाव: न्याय, संतुलन और परिश्रम का फल।
- बृहस्पति का प्रभाव: ज्ञान, धर्म, समृद्धि और सकारात्मकता।
इसलिए 2025 की नवरात्रि शिक्षा, धर्म, समाज और कृषि सभी के लिए शुभ मानी जा रही है।
मां दुर्गा की पूजा-विधि (शारदीय नवरात्रि 2025)
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करें।
- मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को लाल चुनरी अर्पित करें।
- नौ दिनों तक अखंड ज्योति (दीपक) जलाएँ।
- दुर्गा सप्तशती, देवी भागवत या देवी कवच का पाठ करें।
- कन्या पूजन करें और नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएँ।
नवरात्रि के प्रमुख उत्सव
- बंगाल और असम: दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन।
- उत्तर भारत: रामलीला और रावण दहन की परंपरा।
- दक्षिण भारत: बोम्मई कोलू (गोलू) और अयुध पूजा।
- गुजरात: गरबा और डांडिया की धूम।
विजयादशमी (दशहरा) 2025
- तारीख: 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:09 से 02:56 बजे तक
- पूजा का महत्व:
- इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।
- अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक।
- इस दिन शस्त्र पूजन (आयुध पूजा) का भी विशेष महत्व है।
👉 रावण दहन के साथ-साथ समाज में उत्सव, मेल-मिलाप और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
दुर्गा माता की आरती
जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी।
मैया जय मंगल मूर्ति, मैया जय आनन्दकऱणी॥
तुमको निसिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को॥ जय॥
उज्ज्वल से दोऊ नैना, चंद्र बदन नीको।
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै॥ जय॥
रक्त पुष्प गल माला, कंठन पर साजै।
केहरी वाहन राजत, खड़ग खप्परधारी॥ जय॥
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःख हारी।
कानन कुंडल शोभित, नासाग्रे मोती॥ जय॥
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।
चंड मंगल में संहारो, शुंभनिषुंभ बिदारी॥ जय॥
महिषासुर मर्दिनी, सुर नर मुनि सुखकारी।
शुंभनिषुंभ बिदारी, महिषासुर घाती॥ जय॥
धूम्र विलोचन नैना, निःशिदिन मदमाती।
चौंसठ योगिन मंगल, गावैं नृत्य करत भैरु॥ जय॥
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु।
ब्रह्माणी रूद्राणी, तुम कमला रानी॥ जय॥
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।
भुजा चार अति शोभित, खड़ग खप्परधारी॥ जय॥
मनवांचित फल पावत, सेवत नर नारी।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती॥ जय॥
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रत्न ज्योति।
जय अम्बेजी की आरती, जो कोइ नर गावै॥ जय॥
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावै।
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी॥
🌺 आरती के लाभ
मां की आरती गाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
मनोकामना पूर्ण होती है।
जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
हाथी पर आगमन के शुभ संकेत
- कृषि समृद्धि: किसानों के लिए अच्छा वर्ष।
- आर्थिक उन्नति: व्यापार और उद्योग में वृद्धि।
- सामाजिक सौहार्द: परिवार और समाज में शांति का वातावरण।
- धार्मिक उन्नति: भक्तिभाव और धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि।
सांस्कृतिक दृष्टि से महत्व
- शारदीय नवरात्रि न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- परिवार और समाज एकजुट होते हैं।
- पारंपरिक लोकनृत्य, रामलीला, गरबा और उत्सव भारतीय संस्कृति की सुंदरता को प्रदर्शित करते हैं।
2025 की शारदीय नवरात्रि विशेष महत्व रखती है क्योंकि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। यह शुभ संकेत है कि आने वाला वर्ष सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली लेकर आएगा।
विजयादशमी 2 अक्टूबर को अच्छाई की जीत और शक्ति की उपासना का पर्व मनाया जाएगा।
